भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग सेवाओं को और अधिक सुविधाजनक और सभी के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। RBI ने स्पष्ट कर दिया है कि अब सभी बैंक Basic Savings Bank Deposit Account (BSBD) यानी जीरो बैलेंस बेसिक सेविंग्स अकाउंट वाले ग्राहकों को भी मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा देना अनिवार्य है। पहले कई बैंक इस प्रकार के खातों में डिजिटल बैंकिंग सुविधाएँ नहीं देते थे, लेकिन अब ऐसा करना नियमों के खिलाफ माना जाएगा।
RBI के मुताबिक BSBD खाता अब एक सामान्य बचत खाते की तरह माना जाएगा और इसमें सभी आवश्यक बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएँगी। ग्राहक बिना किसी न्यूनतम बैलेंस की चिंता के इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, UPI, NEFT, IMPS जैसी डिजिटल सेवाओं का उपयोग कर सकेंगे। इसके अलावा बैंक नकद जमा पर किसी तरह का शुल्क नहीं ले सकेंगे; चाहे वह शाखा, एटीएम या बैंक के एजेंट के माध्यम से किया गया हो।
RBI ने यह भी साफ कर दिया है कि कुछ बैंकों द्वारा BSBD खातों पर डिजिटल सेवाएं सीमित करने का सुझाव स्वीकार नहीं किया गया। बैंक धोखाधड़ी या मनी-म्यूल जैसी गतिविधियों का हवाला देकर सेवाएँ कम नहीं कर सकते। इसके लिए KYC और निगरानी नियम पहले से मौजूद हैं और यह सभी प्रकार के खातों पर बराबर लागू होते हैं।
नई व्यवस्था के तहत BSBD खाताधारकों को एटीएम/डेबिट कार्ड, मुफ्त लेन-देन, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर, पासबुक, बैंक स्टेटमेंट जैसी सुविधाएं भी पहले की तरह मिलती रहेंगी। साथ ही चेकबुक जैसी सेवाओं पर भी न्यूनतम शुल्क या मुफ्त सुविधा देने के निर्देश हैं। RBI ने बैंकों को सात दिन के भीतर यह नई व्यवस्था पूरी तरह लागू करने को कहा है, जबकि डिजिटल सुविधाओं को अनिवार्य रूप से सक्षम करने की अंतिम समयसीमा 1 अप्रैल 2026 तय की गई है।
RBI का यह कदम वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को मजबूत करेगा और उन करोड़ों लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो अब तक डिजिटल बैंकिंग से दूर थे। अब आम ग्राहक भी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क या शर्त के डिजिटल बैंकिंग का लाभ उठा सकेंगे और हर जरूरी सुविधा उनके Zero Balance खाते में उपलब्ध रहेगी।

