ज्यादातर यूजर्स फोन को तब तक चार्ज करते हैं जब तक वो फुल चार्ज नहीं हो जाता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं ऐसा फोन की बैटरी के लिए सही नहीं होता और यह तरीका फोन की बैटरी की लाइफ को धीमा करने का काम करता है। आइए जानते हैं कुछ जरूरी बातें...
चार्जिंग लिमिट फीचर
बैटरी की हैल्थ को सही रखने के लिए अब कंपनियां फोन को 80 या 90 फीसदी तक चार्ज करने का विकल्प दे रही हैं। यानी यूजर्स अब सेट कर सकते हैं कि चार्जिंग कितनी होनी है। इस फीचर का मकसद है कि फोन बेहतर परफॉर्म करे और इसे जल्दी बदलने की नौबत न आए।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि फोन को रातभर चार्जिंग पर लगाने से बचें। इसके अलावा हमेशा कंपनी का ओरिजनल चार्जर ही इस्तेमाल करें। अगर फोन हीट हो रहा है, तो उसे उस चार्जर से चार्ज करने से बचना चाहिए। ऐसा बार-बार करने पर सीधा बैटरी पर असर होता है। इन बातों का ध्यान बहुत कम लोग रखते हैं।
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100% चार्ज क्यों नहीं सही ?
एक्सपर्ट्स कहते हैं जब बैटरी पूरी तरह से चार्ज हो जाती है और चार्जर लगा रहता है तो बैटरी के अंदर धीरे-धीरे हीट बढ़ता है। इसका असर बैटरी की क्षमता पर पडता है। यह क्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है। यही वजह है कई कंपनियां 80 फीसदी बैटरी चार्ज करने की सलाह देती हैं।
क्या है चार्जिंग का 80:20 नियम
मोबाइल की बैटरी को सुरक्षित रखने और उसकी लाइफ बढ़ाने के लिए, इसे 20% से 80% के बीच चार्ज करना सबसे अच्छा माना जाता है. 100% फुल चार्ज करने से बैटरी पर दबाव पड़ता है, जिससे वह तेज़ी से खराब हो सकती है।
iPhone और कुछ ऐंड्रॉयड फोन में चार्जिंग की एक सीमा (charging limit) सेट करने का विकल्प होता है, जो चार्जिंग को 80% पर रोक देता है।
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